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नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ 5 ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि click here कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।